अयोध्या में ‘देश बचाओ, देश बनाओ’ के मंच से मोदी और योगी को घेरेंगे अखिलेश यादव

       अयोध्या में ‘देश बचाओ, देश बनाओ’ के मंच से मोदी और योगी को घेरेंगे अखिलेश यादव

9 अगस्त को उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में समाजवादी पार्टी रैली करेगी. कौन से नेता को किस रैली मे रहना है, ये सब तय हो चुका हैं. पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने लिए अयोध्या चुना है.
नई दिल्ली: यूपी चुनाव में मिली करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने पहली बार सड़क पर उतरने की तैयारी की है, वो भी दिल्ली की मोदी और लखनऊ की योगी सरकार के ख़िलाफ़ एक साथ. तारीख़ और तरीक़े पर फ़ैसला हो चुका है. 9 अगस्त को समाजवादी पार्टी ‘देश बचाओ, देश बनाओ’ आंदोलन करेगी. जिसकी अगुवाई अयोध्या से ख़ुद अखिलेश यादव ने करने का मन बनाया है.

यूपी के सभी 75 जिलों में रैली करेगी समाजवादी पार्टी
9 अगस्त को उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों में समाजवादी पार्टी रैली करेगी. कौन से नेता को किस रैली मे रहना है, ये सब तय हो चुका हैं. पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अपने लिए अयोध्या चुना है. मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ भी दो बार यहां के चक्कर लगा चुके हैं और रामलला से लेकर हनुमानगढ़ी मंदिर तक के दर्शन कर चुके हैं.
विरोध के नाम पर ये बस खानापूर्ति
यूपी में सत्ता से बाहर होने के बाद से समाजवादी पार्टी बाहर नहीं निकली है. जिस दिन पीएम नरेन्द्र मोदी ने लखनऊ में योग किया था, उसी दिन समाजवादी पार्टी के समर्थकों ने साइकिल चलाई थी. लेकिन विरोध के नाम पर ये बस खानापूर्ति ही रह गया.
समाजवादी पार्टी ने की है पूरी तैयारी
इस बार समाजवादी पार्टी ने पूरी तैयारी की है. मोदी सरकार और योगी सरकार को मंच से कोसने के लिए नेताओं ने प्लान बना लिया है. अपराध के आंकड़ों से लेकर किसानों की क़र्ज़ माफ़ी जैसे मुद्दे समझे और समझाये जा रहे हैं. अब आप पूछेंगे समाजवादी पार्टी ने नौ अगस्त की तारीख़ क्यों चुनी ?
अंदरवाले से भिड़ें या फिर बाहरवालों से निपटें ?
दरअसल साल 1942 में उसी दिन गांधी जी ने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन शुरू किया था. वैसे पार्टी इन दिनों बड़े मुश्किल दौर से गुज़र रही है. न जाने कौन नेता कब साथ छोड़ दे. अमित शाह के लखनऊ पहुंचते ही समाजवादी पार्टी के दो एमएलसी इस्तीफ़ा देकर बीजेपी में चले गए. अभी कई और लाईन मे लगे हैं. छोटे से ब्रेक के बाद चाचा शिवपाल यादव भी आँखें दिखाते रहते हैं. अब भला अखिलेश यादव क्या करें. अंदरवाले से भिड़ें या फिर बाहरवालों से निपटें ?

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